लेखक:
अशोक चक्रधर
जन्म : 8 फरवरी, 1951, खुर्जा (उ.प्र.)।
शिक्षा : एम.ए., एम.लिट्.। विगत तीन दशकों से विभिन्न जनसंचार माध्यमों में सक्रिय। संप्रति : प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, जामिआ मिल्लिआ इस्लामिया, नई दिल्ली। कृतियाँ : काव्य संकलन : भोले-भाले, तमाशा, चुटपुटकुले, सो तो है, हंसो और मर जाओ, बूढ़े बच्चे, ए जी सुनिए, इसलिए बौड़मजी इसलिए, खिड़कियां, बोलगप्पे, देश धन्या पंच कन्या, जाने क्या टपके, कविताई चुनी-चुनाई, सोची-समझी। नाटक : रंग जमा लो, बिटिया किसकी, बात अकल की, समझ गया सांवरिया, बंदरिया चली ससुराल, जब रहा न कोई चारा। बाल साहित्य : कोयल का सितार, एक बगिया में, हीरों की चोरी, स्नेही का सपना। प्रौढ़ साहित्य : नई डगर, अपाहिज कौन, हमने मुहिम चलाई, भई बहुत अच्छे, बदल जाएंगी रेखा, ताउम्र का आराम, घड़े ऊपर हंडिया, तो क्या होता जी, ऐसे होती है शादी, रोती ये धरती देखो, कब तलक सहती रहें, अपना हक़ अपनी ज़मीन, कहानी जो आँखों से बही, और पुलिस पर भी, मजदूरी की राह, जुगत करो जीने की, कितने दिन। समीक्षा : मुक्तिबोध की काव्यप्रक्रिया, मुक्तिबोध की कविताई, मुक्तिबोध की समीक्षाई, छाया के बाद (सहसंपादन)। पटकथा : गुलाबड़ी। अनुवाद : इतिहास क्या है (ई.एच. कार)। काव्यानुवाद : गूंगी अभिव्यक्तियां (डॉ.एल.एन. मिश्र)। |
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